नई दिल्ली (ब्यूरो): बहुत सी फिल्मों में दिखाया जाता है कि दोषी सजा ए मौत फांसी की सजा सुनाने के बाद जज पेन की निब को तोड़ देते हैं लेकिन आपको पता है ऐसा क्यों किया जाता है। क्या यह सचमुच में किया जाता है या फिर सिर्फ सीन को बढिय़ा एंगल देने के लिए ऐसा किया जाता है। चलिए हम आपको विस्तार से बताते हैं: विभिन्न रिपोट्र्स के मुताबिक फांसी की सजा जघन्य अपराधों के लिए सुनाई जाती है। जज फांसी की सजा सुनाने के बाद इसलिए पेन की निब इस आशा के साथ तोड़ देते हैं ताकि ऐसा अपराध दोबारा न हो। वहीं फांसी की सजा सुनाने के बाद पैन की निब इसलिए भी तोड़ी जाती है, क्योंकि जिस पैन ने अपराधी की मौत लिखी है वह किसी और काम के लिए इस्तेमाल नहीं की जा जब फैसले में पेन से डेथ लिख दिया जाता है, तो इसी क्रम में पेन की निब को तोड़ दिया जाता है, ताकि इंसान के साथ-साथ पेन की भी मौत हो जाए। एक बार फैसला लिख दिये जाने और निब तोड़ दिये जाने के बाद खुद जज को भी यह यह अधिकार नहीं होता कि उस जजमेंट की समीक्षा कर सके या उस फैसले को बदल सके या पुनर्विचार की कोशिश कर सके। फांसी की सजा सुनाते ही कलम तोडऩे की प्रथा आज से नहीं बल्कि अंग्रेजों के जमाने से चलता रहा है। जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत थी तभी भी सजा सुनाने के बाद कलम को तोड़ा जाता था, उल्लेखनीय है कि फांसी की सजा दुनिया की सभी सजाओं में सबसे बड़ी सजा होती है। जिसे किसी आम अपराधी को नहीं सुनाया जाता है। यह सजा किसी जघन्य अपराध की घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों को सुनाई जाती है। सजा मुकर्रर होने के बाद कलम तोडऩे का एक और भी कारण बताया जाता है ।
जानिए क्यों तोड़ी जाती है सजा-ए-मौत के फैसले के बाद पेन की निब
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